Ruthna mat hume manana nahi aataa...
Hai garm hawa aag; dozaq dilaaye hai yaad,
Suna hai, Akeele, kar de hai ye barbaad,
Aaye koi to ab kareeb, Maut ho ya aaFtaab,
Jod de koi sheesha-e-qaraabat ke ye shigaaf,
kash tumne hamara hath thama hota,
iS Dil ka Kaha Maano Ek Kaam kar do...
फूलो से कह दो महकना बंद कर दे, की उनकी महक की कोई जरूरत नही... . सितारों से कह दो चमकना बंद कर दे, की उनकी चमक की कोई जरूरत नही.... भवरो से कह दो अब ना गुनगुनाये, की उनकी गुंजन की कोई जरुरत नही.... सागर की लहरे चाहे तो थम जाये, की उनकी भी कोई जरुरत नही.... सुरज चाहे तो ना आये बाहर्, की उसकी किरणो की भी जरुरत नही.... चाँद चाहे तो ना चमके रात भर, की उसके आने की भी जरुरत नही....
वो जो आ गये हैं इस जहाँ में, तो दुनिया मे और किसी खूबसूरती की जरुरत ही नही